हिंदुओं के मात्र दो संप्रदाय हैं। पहला शैव और दूसरा वैष्णव। अन्य सारे संप्रदाय उक्त दो संप्रदायों के अंतर्गत ही माने जाते हैं। हालाँकि वैदिक दर्शक के कारण अनेकों अन्य संप्रदाय का जिक्र भी किया जा सकता है। यहाँ शैव संप्रदाय को सबसे प्राचीन संप्रदाय माना जाता है। नाथपंथी, शाक्तपंथी या आदि गुरु शंकराचार्य के दशनामी संप्रदाय सभी शैव संप्रदाय के अंतर्गत ही माने जाते हैं। भारत में शैव संप्रदाय की सैकड़ों शाखाएँ हैं। यह विशाल वटवृक्ष की तरह संपूर्ण भारत में फैला हुआ है। कुंभ के मेले में इसकी विभिन्नता के दर्शन होते हैं, किंतु सभी एक मामले में एकमत है वह यह कि शिव ही परम सत्य और तत्व है। ऐसा माना जाता है कि शैव पंथ में रात्रियों का महत्व अधिक है तो वैष्णव पंथ दिन के क्रिया-कर्म को ही शास्त्र सम्मत मानता है। शैव 'चंद्र' पर तो वैष्णव 'सूर्य' पर आधारित पंथ है। वर्षभर में बहुत सारी रात्रियाँ होती हैं उनमें से कुछ चुनिंदा रात्रियों का ही महत्व है। उन चुनिंदा रात्रियों में भी महाशिवरात्रि का महत्व और भी ज्यादा है। इस महाशिवरात्रि से जुड़ी अनेकों मान्यता है। माना जाता है कि प्
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